Important Questions Class 12 Hindi Aroh Chapter 4 Poem

Study Important Questions Class 12 Hindi Aroh Chapter – 4 कैमेरे में बंद अपाहिज़

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                         (1 अंक) 

1.निम्न शब्दों का शब्दार्थ बताइये।
विकलांग तथा वजूद

उत्तर: विकलांग- अपाहिज़

वजूद –  अस्तित्व 

  1. प्रस्तुतकर्ता ने अपाहिज़ से कैसे प्रश्न पूछे?

उत्तर: प्रस्तुतकर्ता ने अपाहिज़ से निरर्थक और ऊटपटांग प्रश्न पूछे।

3.कवि ने किसके ऊपर व्यंग्य किये हैं?

उत्तर: कवि ने टेलीविजन मीडिया और व्यवसायिक जगत के ऊपर व्यंग्य किये हैं।

4.‘दुख देता’,  ‘आपका अपाहिज़पन’ में कौन सा अलंकार होता है?

उत्तर: ‘दुख देता,’ ‘आपका अपाहिज़पन’ में अनुप्रास अलंकार आया है। 

5.दर्शकों के मन में अपाहिज़ों के लिए कैसी भावना होती है?

उत्तर: दर्शकों के मन में अपाहिजों के लिए दया और करुणा की भावना होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                                    (2 अंक)

6.विकलांग के रोने पर खुश होकर, प्रस्तुतकर्ता अपनी कैसी मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तर: जब विकलांग व्यक्ति अपनी लाचारी पर रो रहा होता है, तो प्रस्तुतकर्ता हंस रहा है| ये प्रस्तुतकर्ता की संवेदनहीन मानसिकता को दर्शाता है| प्रस्तुतकर्ता के अन्दर मानवता बिलकुल भी नहीं है| वो अपने लोभ में अपनी संवेदना और मानवतावादी मूल्यों को त्याग कर अपनी अंतरात्मा को मार चूका है| 

7.जब अपाहिज़ तथा दर्शक एक साथ रोने लगते हैं तो कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता की प्रतिक्रिया कैसी होती है?

उत्तर: जब दर्शक अपाहिज़ की व्यथा सुनकर उसके साथ रोने लगते हैं तो प्रस्तुतकर्ता बहुत खुश होता है| क्योंकि उसे लगता है कि दर्शको की सहानुभति बटोरकर उसने अपना कार्यक्रम सफल बना दिया है|

  1. प्रस्तुतकर्ता के द्वारा अपाहिज़ से पूछे गए बेतुके सवालों का अपाहिज़ पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: प्रस्तुतकर्ता अपाहिज़ से उसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा देने वाले बेतुके प्रश्न पूछता है| जिससे अपाहिज़ के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है| इन प्रश्नों से आहत होकर अपाहिज़ रोने लगता है और सवालों का जवाब देना बंद कर देता है|

9.कार्यक्रम को लोकप्रय बनाने को क्या तरीके अपनाए जाते हैं?

उत्तर: प्रस्तुतकर्ता कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपाहिज़ की लाचारी का सहारा लेता है| वो कैमरामैन से कहता है कि रोते समय अपाहिज़ की आँखों को बड़ा करके दिखाए| जिससे अपाहिज़ की भावनाओं और दुःख को दर्शको को दिखाया जाता है| जिसका सीधा प्रभाव दर्शको पर पड़ता है| दर्शक अपाहिज़ की लाचारी देखकर भावुक होकर उसके साथ ही रोने लागतें हैं|

10.कविता में दर्शाये गए कार्यक्रम में किसका साक्षात्कार लिया जा रहा है और कार्यक्रम का नाम क्या है?

उत्तर: कविता में दर्शाये गए कार्यक्रम में विकलांग व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जा रहा है| कार्यक्रम का नाम ‘एक और कोशिश’ है| 

लघु उत्तरीय  प्रश्न                                                                                            (3 अंक)

11.“हम दूरदर्शन पर बोलेंगे,,,,,,,,,,,, बता नहीं पाएगा।” इन पंक्तियों का  आशय बताइए?

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि मिडिया की घोर व्यावसायिक मानसिकता के बारें में बता रहा है| कवि का आशय है कि मीडिया किसी की मज़बूरी का प्रदर्शन करके अपना व्यापार चलाती है| वैसे तो मिडिया दिखावा करती है कि वो अपाहिज़ों की मदद के लिए ये कार्यक्रम कर रही है| लेकिन मीडिया उन अपाहिज़ों को अपने स्टूडियो में बुलाकर उनकी विकलांगता और लाचारी को प्रचारित करके, उससे व्यवसायिक लाभ कमाने की कोशिश करती है| वो अपने कैमरों से उनकी विकलांगता और लाचारी का प्रदर्शन करते हैं और उनसे ऊटपटांग सवाल पूछ कर उनके आत्मसम्मान को चोट पहुँचाते हैं|  

  1. “सोचिए,,,,,,,, करते हैं,” इन पंक्तियों का क्या आशय है?

उत्तर: कवि इन पंक्तियों में मीडिया के द्वारा अपाहिजों से पूछे गए ऊटपटांग सवालो का वर्णन कर रहा है| कवि कहता है कि मीडिया वाले उन विकलांगों से ऐसे बेतुके प्रश्न करते हैं, जो उनके स्वाभिमान को चोट पहुँचाते हैं| यदि कोई विकलांग उन सवालो का उत्तर नहीं देता है तो मीडिया वाले अपनी तरफ से उत्तर बनाकर प्रस्तुत करते हैं| मीडिया वाले ऐसे दिखा रहें हैं जैसे कि वो इन अपाहिजों को दुनिया को अपना दर्द बताने का मौका देकर इन अपाहिजों पर कोई कृपा कर रहें हैं | जबकि वो अपने सवालो से उन अपाहिजों के मन को चोट पहुँचा रहे होते हैं|   

13.“फिर हम परदे पर दिखलाएंगे,,,,,, हमें दोनों को एक साथ रुलाना है”, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर:  कवि कहता है कि मिडिया वाले अपाहिजों की वेदना का बाज़ारीकरण कर रहे हैं| वो उन अपाहिजों से बेतुके सवाल पूछकर उनका मानसिक शोषण करते हैं| वो अपने प्रश्नों से उनको रोने पर मज़बूर कर देतें हैं| फिर उनकी रोती आँखों और उनके वेदना से कांपते होठों को कैमरे पर बड़ा करके दिखातें हैं| जिसे देखकर दर्शक भी भावुक हो उठते हैं और रोने लागतें हैं| दर्शको को रोता देख प्रस्तुतकर्ता खुश होते हैं और मुस्कुराते हैं| फिर वो दर्शको से कहते हैं कि धर्य बनाये रखिये| 

14.“आप और वह दोनों,,,,,, धन्यवाद!” इन पंक्तियों से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: इन पंक्तियों में कवि कहता है कि प्रस्तुतकर्ता चाहतें हैं कि अपाहिज लोग रोयें और दर्शक उनको देखकर उनके साथ रोयें| क्योंकि इससे अपने कार्यक्रम से उन्हें ज़्यादा कमाई होगी| जब दर्शक भी विकलांग के साथ रोने लागतें हैं, तो मीडिया वाले कैमरा बंद कर देते हैं| वो भी ध्यान नहीं देते कि विकलांग अभी और भी कुछ बताना चाह रहा है क्या? कार्यक्रम समाप्त होने के बाद मिडिया के लोग कार्यक्रम के सफल होने की ख़ुशी मानते हैं| 

15.“उससे पूछेंगे, तो क्या आप अपाहिज़ है?,,,,,, बता नहीं पायेगा।” इन पंक्तियों के काव्य सौंदर्य का वर्णन कीजिये।

उत्तर: इन पंक्तियो में कवि ने खड़ी बोली और मुक्तक छंद का प्रयोग किया गया है| मीडिया की मानसिकता को दिखाने के लिए प्रश्न शैली का प्रयोग किया गया है। ‘दुख देता’ तथा ‘आपका अपाहिज़पन’ में अनुप्रास अलंकार है। इन पंक्तियों में प्रश्न अलंकार के उपयोग ने इनको प्रभावी बना दिया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                         (5 अंक)

  1. इस कविता के माध्यम से कवि क्या बताना चाहते हैं?

उत्तर: कवि ने अपनी कविता ‘कैंमरे में बंद अपाहिज़’ के माध्यम से विकलांगता, मानवीय संवेदना और घोर बाज़ारवादी सोच को अच्छे से प्रस्तुत किया है| कवि ने बढ़ते बाज़ारवाद पर अच्छा व्यंग्य किया है| कवि का आशय है की वैसे तो समाज में सभी लोग विकलांगो के प्रति संवेदनशील होने का दिखावा करते हैं| लेकिन यदि उन्हें अपाहिजों की लाचारी से लाभ उठाने का कोई मौका मिलता है तो वो बिलकुल नहीं चूकते हैं| 

  1. टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम का वर्णन कवि ने किस प्रकार किया है?

उत्तर: कविता के अनुसार टेलीविजन पर एक कार्यक्रम सामाजिक उद्देश्य से किया जाता है| लेकिन वास्तव में संचालक कार्यक्रम के माध्यम से अपाहिज़ लोगो की लाचारी को दिखा कर, दर्शको की सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहा था| अपाहिजों से बेतुके प्रश्न किये जातें हैं, उनको मानसिक पीड़ा पहुँचाई जाती है| फिर उनके आंसुओ और पीड़ा को प्रचारित किया जाता है| इस कार्यक्रम में करुणा का मुखोटा पहनकर संचालक के द्वारा अपाहिज़ व्यक्तियों का मानसिक शोषण किया जाता है| संचालको की इस असंवेदनशीलता को देख कर मन दुखी हो जाता है| कवि बताना चाहता है कि व्यवसायीकरण के दौर में किसी की वेदना और पीड़ा को भी उत्पाद बनाकर बेच दिया जाता है| बाज़ारवादी संस्कृति में ये करुणा, दया, और मानवता बस दिखावे के लिए है| 

  1. कवि ने किन पंक्तियों के माध्यम से मीडिया पर व्यंग्य किया है?

उत्तर: कवि रघुवीर सहाय ने “हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे”  पंक्तियों के माध्यम से मीडिया पर तीखे व्यंग्य किये हैं| कवि कहते हैं कि ये मीडियावाले दिखावा करते हैं कि वो किसी दुर्बल और विकलांग व्यक्ति को अपनी पीड़ा को सबके सामने रखने का मौका दे रहें हैं| ऐसा करके मीडियाखुद के मानवतावादी होने का दिखावा करती है| लेकिन वास्तव में मीडियाउन विकलांग व्यक्तियों की लाचारी से आर्थिक लाभ उठा रही है| वो उनकी मदद के बहाने उनका मानसिक शोषण करती है| अपाहिज़ों से गलत प्रश्न पूछकर उनको रोने पर मज़बूर कर देती है| फिर उनकी रोती आँखों को दिखाकर कार्यक्रम के लिए प्रसिद्धि बटोरती है| मीडियाको उनकी करुणा और लाचारी को बेचने में थोड़ी भी शर्म नहीं आ रही है| 

  1. कवि के अनुसार टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?

उत्तर: कविता में कवि ने कार्यक्रम का उद्देश्य परोपकार ना बताकर आर्थिक लाभ उठाना बताया है| कवि ने मीडिया के वीभत्स चेहरे को उज़ागर किया है| कवि ने बताया है कि कैसे किसी की मज़बूरी और पीड़ा को टेलीविजन वाले पैसा कमाने का माध्यम बना लेते हैं? वो अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने के लिए किसी भी हद तक चले जातें हैं| जैसे इस कार्यक्रम में वो अपाहिज़ लोगो को पहले तो अपने सवालो से आहत करके रोने पर मज़बूर कर देते हैं, फिर उनकी रोती आँखों को दिखाकर दर्शको की सहानुभूति बटोरते हैं| वो बिलकुल भी नहीं सोचते कि उनके सवालों से उन अपाहिज़ों के दिल को कितनी चोट पहुँच रही है| इस कार्यक्रम से वो उस विकलांग व्यक्ति की विकलांगता और लाचारी को भी बेच रहें हैं| वो दिखावा अपाहिज़ों की मदद करने का कर रहें हैं, जबकि वो उन अपाहिज़ व्यक्तियों का मानसिक शोषण कर रहे होते हैं| ये सब पढकर पाठक भी सोचने पर मज़बूर हो जातें हैं| बाजारीकरण ने मानव सभ्यता को इतना संवेदनहीन बना दिया है कि आर्थिक लाभ के लिए किसी की विकलांगता को भी माध्यम बनाया जा रहा है|  

  1. विकलांगो के साक्षात्कार के इस कार्यक्रम से प्रस्तुतकर्ता को क्या निज़ी लाभ होता है| 

उत्तर: कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता इस कार्यक्रम के माध्यम से दर्शको की सहानुभूति बटोरकर टेलीविजन निर्माता को प्रभावित करना चाहता था| प्रस्तुतकर्ता कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपाहिज़ों की लाचारी को माध्यम बनाता है| उनसे बेतुके सवाल करके उन्हें रोने पर मज़बूर करता है| फिर उनकी रोती आँखों को कैमरे पर दिखाकर दर्शको की सहानुभूति बटोरता है| इस तरह से उसके कार्यक्रम को ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखते हैं और इससे उसका कार्यक्रम उसे अधिक लाभ देता है| उसका निर्माता भी उससे प्रभावित हो जाता है|

The poem, Camere me band Apahij, talks about the ugly face of the media.  The poet portrays the media as someone who sees themselves as all-powerful while viewing the general public as weak and fragile.The poet calls out the media’s behaviour for its insensitivity towards the struggles of mankind. They do not flinch before walking up to a person suffering from a disability and asking them questions that humiliate their struggles. In the deepest core of humanity, asking an Apahij (a person with a disability) how they feel about being an Apahij is shameful.Just to make news, they have sold their souls.

Some lines in the poem have been placed in parentheses to show the real talk that goes on behind the camera. Their words express how insensitive they are towards the pain of people. When the camera is on, they will emote and act to make the audience feel, but as soon as the camera turns off, they don’t take a second to shed their mask of humanity. All the media cares about is keeping their audience hooked and increasing their numbers on the board.

The poet tried very well to explain how cruel the real face of our media is. They have lost their very basic sense of treating another human with love, respect, and dignity. They regard a person as merely a story, and their suffering as merely a topic of conversation.The way they probe the person about their pain is a kind of mental exploitation that breaks them down. The media does not even stop there, they further zoom in their lenses to show the naked and raw emotions of a person and try to make  news out of it.